गजल
मासूम चेहरे के पीछे कातिलाना अंदाज रखते हैं
बड़े बेरहम हैं हुस्न वाले अदाएं लाजवाब रखते हैं
झीने से परदे के पीछे से चांद सा चेहरा चमकता है
ये बेमिसाल हुस्न देखकर सबका दिल बहकता है
अधरों की मासूमियत पर सुर्ख लाली लिपट रही है
चेहरे पे गिरी बेशर्म सी लटें परवानों सी लग रही है
आंखों से झांकता यौवन सबको दीवाना कर रहा है
मौसम भी तुम्हारा जलवा देखके आहें सर्द भर रहा है
मुस्कुरा के ऐसे कंटीले नयनों से खंजर तो ना फेंकिए
मर जायेंगे हजारों, रहम करो, ये जुल्म तो ना कीजिए
हमें भी पता है कि तुझे इस नशीले हुस्न पर नाज है
एक मुझ पर ही नहीं समूची दुनिया पर तेरा राज है
श्री हरि
24.11.22
Gunjan Kamal
24-Nov-2022 09:02 PM
बहुत खूब
Reply
Hari Shanker Goyal "Hari"
24-Nov-2022 10:13 PM
🙏🙏
Reply
Muskan khan
24-Nov-2022 08:10 PM
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
Reply
Hari Shanker Goyal "Hari"
24-Nov-2022 10:13 PM
🙏🙏
Reply
पृथ्वी सिंह बेनीवाल
24-Nov-2022 05:12 PM
बहुत खूब
Reply
Hari Shanker Goyal "Hari"
24-Nov-2022 10:12 PM
🙏🙏
Reply